किडनी (गुर्दा) की जानकारी, कार्य और संरचना
गुर्दे की बीमारी अपने बढ़ती रुग्णों की संख्या की वजह से एक मुख्य स्वास्थय समस्या है। भारत के आबादी का ३% से १७% नागरिक क्रोनिक किडनी रोग से ग्रसित है।
किडनी हमारे शरीर के अहम अंग है। हर व्यक्ति के शरीर में दो किडनीयां होती हैं। यह आपके रक्त के लिए छन्नी की तरह काम करते हैं। आम तौर पर किडनीयां पेट के पीछे स्थित होती हैं।
गुर्दे आपके रक्त को साफ करने और कचरे (अमोनिया, यूरिक एसिड, यूरिया, क्रिएटिन, और क्रिएटिनिन) से छुटकारा पाने में मदद करते हैं। इसके अलावा शरीर के तरल पदार्थों को संतुलन में रखने में भी किडनीयां मदद करती हैं। इस लेख में हम किडनी का मतलब, उसकी संरचना, गुर्दे का कार्य, किडनी आरेख और किडनी की समस्याओं के बारे में विस्तृत रूप में जानेंगे।
किडनी का मतलब
किडनी का मतलब हिंदी में गुर्दा ह ... View More
गुर्दे की बीमारी अपने बढ़ती रुग्णों की संख्या की वजह से एक मुख्य स्वास्थय समस्या है। भारत के आबादी का ३% से १७% नागरिक क्रोनिक किडनी रोग से ग्रसित है।
किडनी हमारे शरीर के अहम अंग है। हर व्यक्ति के शरीर में दो किडनीयां होती हैं। यह आपके रक्त के लिए छन्नी की तरह काम करते हैं। आम तौर पर किडनीयां पेट के पीछे स्थित होती हैं।
गुर्दे आपके रक्त को साफ करने और कचरे (अमोनिया, यूरिक एसिड, यूरिया, क्रिएटिन, और क्रिएटिनिन) से छुटकारा पाने में मदद करते हैं। इसके अलावा शरीर के तरल पदार्थों को संतुलन में रखने में भी किडनीयां मदद करती हैं। इस लेख में हम किडनी का मतलब, उसकी संरचना, गुर्दे का कार्य, किडनी आरेख और किडनी की समस्याओं के बारे में विस्तृत रूप में जानेंगे।
किडनी का मतलब
किडनी का मतलब हिंदी में गुर्दा होता है। यह गुर्दे फली के आकार के दो अंग हैं जो शरीर के रक्त को छानने का काम करते हैं। किडनी शरीर के मूत्र तंत्र का हिस्सा हैं।
लगभग २०० क्वार्ट (एक चौथाई गैलन या एक सेर के बराबर) तक का द्रव हर दिन किडनीयाँ छानती है। इस प्रक्रिया में, किडनीयां अपशिष्ट पदार्थ को बाहर मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालदेती है, जो २ क्वार्ट तक होता है। बाकी १९९ क्वार्ट द्रव शरीर पुनः उपयोग करता है।
इसके अलावा गुर्दे शरीर के द्रव, पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स (आवश्यक खनिज) को संतुलित करने का कार्य भी करता है।
किडनी की संरचना
आमतौर पर किडनी हमारे पसली के ठीक नीचे और पेट के पीछे स्थित है। एक एक गुर्दा रीढ़ के दोनों तरफ स्थित होता है। किडनी की लंबाई ४ या ५ इंच, मुट्ठी जितना आकार की और रंग लाल-भूरा होता है।
गुर्दे के कार्य
हमारे शरीर में गुर्दे का कार्य बहुत महत्वपूर्ण हैं। किडनी रक्त से विषाक्त पदार्थ और अपशिष्ट उत्पाद नाइट्रोजन, यूरिया, मांसपेशी अपशिष्ट (क्रिएटिनिन) और आम्ल को साफ करती हैं। आम तौर पर हर मिनट लगभग आधा कप रक्त गुर्दे में छाना जाता है।
गुर्दे का कार्य है :
रक्त छानना - किडनीयां हमारे शरीर के रक्त को छान करके मूत्र बनाता है। वृक्क धमनी के माध्यम से रक्त आपके गुर्दे में प्रवाहित होता है। वहा से यह छानकर वापिस गुर्दे के जरिए रक्त प्रवाह में वापिस लौटता है।
एसिड बेस बैलेंस - रक्त में एसिड बेस संतुलनको नियंत्रित करने का कार्य गुर्दे करते है। मूत्र में हाइड्रोजन (H+) आयन को पुन:अवशोषित और स्रावित मात्रा को समायोजित करके यह पीएच बैलेंस का संतुलन करते है।
ग्लूकोज का उत्पादन - शरीर में पर्याप्त शर्करा नहीं होने पर किडनीयां ग्लूकोज बनाता है। यह क्रिया ग्लुकोनियोजेनेसिस द्वारा होती है।
प्रोटीन का उत्पादन - हमारे गुर्दे रक्तचाप को बढ़ानेवला रेनिन नामक प्रोटीन को बनाती है। गुर्दे के जक्सटाग्लोमेरुलर कोशिकाए (जेजीसी) भंडारण कणिकाओं से रेनिन का उत्पादन करती हैं।
कैल्सिट्रिऑल और एरिथ्रोपोइटिन का उत्पादन - यह विटामिन डी का एक रूप है जो शरीर में कैल्शियम अवशोषित करता है। साथ में गुर्दे एरिथ्रोपोइटिन को भी बनाती है, जो लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है।
हार्मोन का उत्पादन - दोनो गुर्दे के ऊपर एक अधिवृक्क ग्रंथियां (एड्रेनल ग्रंथियां) स्थित होती है। यह ग्रंथियां कोर्टिसोल नामक हार्मोन का उत्पादन करती है।एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिन हार्मोन (एसीटीएच) अधिवृक्क ग्रंथियों को कोर्टिसोल हार्मोन बनाने और रक्त में छोड़ने के लिए उत्तेजित करता है।
किडनी की रोग
किडनी शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। कई अलग-अलग बिमारियां गुर्दों को प्रभावित कर सकते हैं। किडनी की रोग में शामिल हैं:
दीर्घकालिक किडनी रोग- यह गुर्दे की कार्यक्षमता को कम कर सकता है। मधुमेह या उच्च रक्तचाप के कारण यह रोग हो सकता है।
गुर्दे की विफलता- किडनी की विफलता तीव्र हो सकती है जब वो अचानक खराब हो जाती है। यह पुरानी हो सकती है, जब गुर्दे धीरे धीरे खराब होती है। अंतिम चरण की गुर्दे की विफलता गुर्दे की कार्यप्रणाली का पूर्ण नुकसान है।
पाइलोनेफ्राइटिस- यह एक प्रकार का किडनी संक्रमण है, जिसमे बैक्टीरिया मूत्रवाहिनी के माध्यम से किडनी में प्रवेश कर संक्रमण के लक्षण पैदा करता हैं। इस बीमारी के कारण किडनी में सूजन आती है जिससे उसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है।
गुर्दे की पथरी- इसके कारण मूत्र में स्फटिक (यूरिक एसिड या कैल्शियम के छोटे पत्थर) बनते हैं। यह मूत्र प्रवाह को अवरुद्ध करते है।
गुर्दे में पुटी- इसमें गुर्दे पर द्रव से भरी थैली विकसित होती हैं, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
बहुपुटीय किडनी रोग- इसमें गुर्दे के ऊपर बहुत संख्या में द्रव से भरी थैलियां बन जाती है। इसके कारण उच्च रक्तचाप और गुर्दे की विफलता हो सकती है।
तीव्र या अंतरालीय वृक्कशोथ- कुछ एंटीबायोटिक दवाओं के संपर्क में आने के बाद गुर्दे में सूजन हो जाती है, जिससे किडनी विफल हो सकती है।
एज़ोटेमिया- इसमें नाइट्रोजन अपशिष्ट गुर्दे में जमा होता है, जिससे गुर्दे की कार्य प्रणाली बिगड़ जाती है।
कैलीइक्टेसिस- इस स्थिति में अतिरिक्त द्रव के वजह से आपकी कैलीस (वृक्क बाह्यदलपुंज गुर्दे की श्रोणि में कप जैसा प्रक्षेपण है) सूज जाती है। इस सूजन को वजह से किडनीयां रक्त छानने का काम ठीक से नही कर पाती है।
मधुमेह या उच्च रक्तचाप से ग्रस्त नेफ्रोपैथी- अनियंत्रित मधुमेह या दीर्घकालीन उच्च रक्तचाप के कारण किडनी खराब हो सकती है।
ग्लोमेरुलर रोग- इस रोग में ग्लोमेरुली (केशिकाओं का एक विशेष बंडल जो दो प्रतिरोध वाहिकाओं के बीच स्थित होता है)में सूजन या क्षति का कारण बनते हैं, जो गुर्दे की विफल कर सकते हैं।
न्यूनतम परिवर्तन रोग और नेफ्रोटिक सिंड्रोम- गुर्दे में छोटी रक्त वाहिकाओं के समूह में हुई हानि (सूजन और क्षति) की वजह से यह बीमारी होती है। इसके कारण गुर्दे में से अतिरिक्त प्रोटीन पेशाब में निकलता है।
अंकुरक अतिक्षय- इसमें किडनी के ऊतकों के हिस्से मर जाते हैं, और किडनी को अवरुद्ध कर उसे खराब करती है।
प्रोटीनुरिया- इसमें गुर्दे में प्रोटीन बढ़ जाता है, और यह किडनी खराब होने का संकेत हो सकता है।
गुर्दे का कर्क रोग- वृक्क कोशिका कैंसरगुर्दे के कर्क रोग का आम प्रकार है। यह गुर्दे के किसी भी हिस्से को ग्रसित कर सकता है।
किडनी की समस्याओं के लक्षण
जब किडनी की समस्याओं की शुरुआत होती है, तब आपको कोई लक्षण नहीं महसूस होते हैं। पर जैसे-जैसे गुर्दे की क्षति बढ़ती है, और किडनीयों की कार्यक्षमता कम होती है, आपको धीरे धीरे ये लक्षण महसूस हो सकते हैं:
ऐंठन - मांसपेशियों में ऐंठन जो असंतुलित इलेक्ट्रोलाइट के कारण होता है।
मूत्र में खून - गहरे रंग का मूत्र या खून के साथ मूत्र जो किडनी के छानने के क्षमता कम होने की वजह से होती है।
पेशाब में झाग - झागदार मूत्र, यह अतिरिक्त प्रोटीन का संकेत है, जो पेशाब में बुलबुले जैसे दिखता है।
त्वचा में खुजली - रक्त में खनिजों और पोषक तत्वों के असंतुलन के कारण त्वचा शुष्क होती है, और खुजलीदार होती है।
बार बार पेशाब होना - जब गुर्दे शरीर के रक्त से अपशिष्ट को छानने में असमर्थ हो जाते है या किसी कारण से मूत्राशय पेशाब का नियंत्रण नहीं कर पाता है, तब बार-बार पेशाब होता है।
सूजन - गुर्दों की कार्यक्षमता कम होने पर शरीर में प्रोटीन और सोडियम जमा होता है, जो सूजन का कारण बनता है।
नींद और भूख में बदलाव - रक्त में विषाक्त पदार्थों का निर्माण होने पर नींद, भूख और ऊर्जा का स्तर ख़राब होता है।
किडनी की समस्याओ के कारण
किडनी की समस्या का कारण अलग अलग होता है। किडनी के बीमारी लक्षण एक जैसे होते है पर अंदरूनी कारण अलग अलग हो सकते है। इसका इलाज कारण के हिसाब से भिन्न होता है। कुछ मुख्य कारण इस प्रकार से है:
दीर्घकालिक गुर्दे का रोग - यह मधुमेह या उच्च रक्तचाप के कारण हो सकता है।
गुर्दे का कैंसर - गुर्दे के कर्क रोग का आम प्रकार है।
गुर्दे की विफलता - यह गुर्दे की कार्यप्रणाली का पूर्ण नुकसान होने पर होता है।
पाइलोनेफ्राइटिस - यह गुर्दे का बैक्टीरिया से होनेवाला संक्रमण है।
गुर्दे की पथरी - गुर्दे में कैल्शियम और यूरिक एसिड के पथरी बनते है, जो मूत्र प्रवाह को अवरुद्ध करते है।
तीव्र या अंतरालीय वृक्कशोथ - एंटीबायोटिक दवाओं के असर से गुर्दे में सूजन हो जाती है।
ग्लोमेरुलर रोग - इसमें ग्लोमेरुली में सूजन या क्षति होती हैं, जो किडनी की विफल कर सकते हैं।
अंकुरक अतिक्षय - इसमें गुर्दे के ऊतकों के हिस्से मर जाते है।
पायलोनेफ्राइटिस - यह गुर्दे का संक्रमण है, जिसमे किडनी में सूजन होती है।
किडनी की समस्याओं की जांच
किडनी की कार्यप्रणाली को मापने और किडनी की समस्याओं का निदान करने के लिए कई परीक्षणों का उपयोग किया जाता हैं। जिनमे शामिल है:
शारीरिक परीक्षण
इसमें चिकित्सक आपके शरीर का परीक्षण करते है। मुख्य रूप से पैरो में सूजन, पेट का हल्का स्पर्श करके किडनी की रोग का संकेत देने वाले नैदानिक लक्षण जैसे दर्द, सूजन, या गांठ को स्पर्श द्वारा महसूस कर उनका आकलन किया जाता हैं।
रक्त परीक्षण
रक्त परीक्षण से ग्लोमेरुली रक्त को कितनी अच्छी तरह छान रहा है, यह पता चलता है। इनमे संपूर्ण रक्त गणना, क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड, इ एस आर, सीरम एल्ब्यूमिन, रक्त यूरिया नाइट्रोजन, रेनिन, और अन्य एलक्ट्रोलाइट्स शामिल है।
मूत्र परीक्षण
इसमें मूत्र विश्लेषण शामिल है। यह परीक्षा पेशाब का विश्लेषण करता है और उसमें विशिष्ट पदार्थ, जैसे प्रोटीन, रक्त को मापता है। इसमें मूत्र रूटीन, कोशिका विज्ञान और मूत्र माइक्रोस्कोपी परीक्षा शामिल है।
यूरीन रूटीन में मूत्र की सघनता, रंग, और मूत्र की सामग्री को मापा जाता हैं।
कोशिका विज्ञान (साइटोलॉजी) कैंसर के निदान करने में मदद करता है। यह एकल कोशिका प्रकार की परीक्षा, जो अक्सर द्रव नमूनों में किया जाता है।
मूत्र माइक्रोस्कोपी बैक्टीरिया, वायरस जैसे जीवाणु के संक्रमण के निदान में मदद करता है।
इमेजिंग
एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड या न्यूक्लियर मेडिसिन छवि जैसे इमेजिंग परीक्षण किडनी की असामान्यताएं या रुकावटें दिखाती है।
अन्य
मूत्रवाहिनी दर्शक - इसमें चिकित्सक मूत्रमार्ग से मूत्राशय और मूत्रवाहिनी में गुहांतदर्शी डालकर असामान्यताओं का निरीक्षण करते है।
किडनी जीवोति-जांच - इस परीक्षण में चिकित्सक किडनी के ऊतकों की थोड़ी मात्रा को निकालकर सूक्ष्मदशंक यंत्र के नीचे जांच करता है।
किडनी के रोगों का इलाज
किडनी के रोगों का इलाज उसके कारण,लक्षण और बीमारी की गंभीरता पर अलग अलग होता है।आपकी बीमारी के लिए कौनसा इलाज योग्य है, इसका निर्णय आपके चिकित्सक करते है। आम तौर पर गुर्दे के बीमारी का इलाज इस तरह से किया जाता है
किडनी के रोगों का रोकथाम
किडनी की कार्यप्रणाली को सुरक्षित रखने से आप किडनी रोगों को रोक सकते है। इसलिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं:
नियमित जांच - अगर आपकी किडनी की कार्यक्षमता कम हो गई है, तो नियमित रूप से नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी विशेषज्ञ) से परामर्श करे।
डायबिटीज की निगरानी - अगर आपको मधुमेह है तो अपने रक्त शर्करा का प्रबंधन करें और उसे बढ़ने न दे।
रक्तचाप प्रबंधन - अगर आपको उच्च रक्तचाप है, तो इसका प्रबंधन करे और समय समय पर जांच करे।
अनुकूल आहार - अपने आहार में प्रोटीन को सीमित करे, नमक का सेवन कम करे और तले भुने खाने को कम करे।
व्यायाम - हर दिन व्यायाम करे। सक्रिय रहने से आपके गुर्दे स्वस्थ रहते है।
वजन कम करे - अपने वजन का ध्यान रखे। अगर आपका वजन अधिक है तो उसे घटाने पर ध्यान दे।
धूम्रपान न करे - धूम्रपान आपके गुर्दों को ज्यादा नुकसान कर सकता है, इसीलिए इससे दूर रहे। View Less